झारखण्ड की लेडी टारज़न || Lady Tarzan of Jharkhand Chami Devi Murmu

Chami Devi Murmu

झारखण्ड की लेडी टारज़न - चामी देवी मुर्मू 

आज बिश्व में जब सबकोई बेहतर भबिष्य के लिए हमलोग पर्यावरण की संरक्षण का केवल मात्र हमलोग बात ही करते रहते है, परन्तु निःसंदेह आज हम ऐसे एक ब्याक्तित्य का बात करेंगे जो पर्यावरण का संरक्षण के लिए अपने जान का बाजी रख दिया था पर्यावरण संरक्षण एवं महिला सशक्तिकरण कारण उनको देश व दुनिया जानती है ,चामी देवी जंगलो एवं वन्य जीवों की रक्षा तथा झारखण्ड के आदिवासी लोगों की आजीविका बढ़ाने के लिए आज भी प्रयासरत है। 


     चामी देवी का जन्म साल 1973 में झारखण्ड के सरायकेला खरसावाँ जिले के राजनगर ब्लॉक के बगराईसाई गाँव में हुआ  था।  उन्होंने सन 1990 के करीब पेड़ो की कटाई पर रोक लगाने और पौधा रोपण के लिए अपना संघर्ष शुरू किया।  उन्होंने पर्यावरण संरक्षण एवं महिला सशक्तीकरण से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए बिभिन्न गावों में यात्राएँ शुरू किये थे।  एक युबा आदिवासी लड़की के लिए एक जगह से दूसरे जगह बिना संसाधनों के बिना यात्रा करना बहुत ही कठिन कार्य था।  अपने संघर्ष के रास्तें में उन्होंने कई साथी बनाए।  उन्होंने हज़ारों महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया।  चामी देवी ने वन की अवैध कटाई रोकने के लिए लकड़ी माफिया एवं नक्शल गतिबिधियोँ के खिलाफ अभियान चलाया।  उन्होंने ने झारखण्ड के जंगलों को फिर से भरने के लिए यूकेलिप्टस, साल , नीम , शीशम , बबूल के पेड़ एवं अन्य पौधों को लगाने के लिए 40 से अधिक गांवों की महिलाओं को संगठित किया तथा बंजर भूमि को हरा - भरा और उपजाऊ बनाने के लिए काम किया। उन्होंने हज़ारों महिला स्वयं सहायता समूहों के सहायता से 30 लाख से भी अधिक पौधों का रोपन कर चुके है।  उनकी टीम के सदस्य जंगलों की अवैध कटाई को रोकने में सफल रहे। इन कार्यों के साथ-साथ उनके सहकर्मियों ने किसान की आय वृद्धि के लिए, कम वर्षा एवं सिंचाई की कम सुविधओं वाले छेत्र में वाटरशेड भी बनाए है। चामी देवी ने लगभग 2,800 महिला स्वयं सहायता समूह बनाकर 28,000 महिलाओं को स्व-रोजगार दिलाया है।  

       चामी देवी भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद द्वारा मार्च 2020 में 'नारी शक्ति पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।  इससे पहले भी उन्हें सन 1996 में 'इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार' मिला था।  

           चामी देवी मुर्मू की कहानी हम सभी के लिए एक सबक है कि अगर हम दिल और दिमाग से ठान लें तो कोई भी काम असंभव नहीं है। चामी देवी मुर्मू से एक बात जो हम सीख सकते हैं वह यह है कि दूसरों को दोष देने के बजाय हमें अपना भविष्य बदलने और खुशहाल जीवन जीने की जिम्मेदारी और जिम्मेदारी लेनी चाहिए।